Fascination About what is today's biggest Bollywood news in Hindi
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पंचतंत्र की कहानी: ऊंट के गले में घंटी
गुरूजी की इस बात को सुनकर शिष्य अत्यत दुखी हुआ. उसे गुरूजी द्वारा ऐसे शब्द कहें जाने की उम्मीद नहीं थी। और वह शिष्य अपने आप को ज्ञानवान अक्लमंद भी समझता था सो उसके अहम को बहुत ठेस पंहुचा।
फिर हाथी एक मेंढक से मिला और पूछा कि क्या वह उसका दोस्त हो सकता है। मेंढक ने कहा “तुम बहुत बड़े और भारी हो। तुम मेरी तरह नहीं कूद सकते। मुझे खेद है, लेकिन आप मेरे दोस्त नहीं हो सकते ”।
“In 2014 I broke my spine in a skiing accident. Truly, I broke about 10 bones—6 of them were in my back again. I could not operate by myself for various months and relied on my spouse and children and husband to perform every little thing for me. Remaining in that problem was humbling, but it had been also really unexciting. Binge-viewing all kinds of shows and movies at some point became monotonous. That’s Once i began to style and design. Following my accident, I had been in bed for the majority of hours with the day. My pajamas and sleepwear grew to become not comfortable.
मुश्किलों का हल – भगवान बुद्ध की प्रेरणादायक कहानी
आपको कुछ खरीदना होता तो आप इसे आसानी से उपयोग कर सकते थे।”
जैसे ही गाँधी जी ने उसे मिठाई दी वह गाँधी जी से दूर हटते हुए बोला कि ” मैं अछूत हूँ इसलिए मुझे मत छुएं ”. गाँधी जी को यह बात बुरी लगी और उन्होंने उस सफाई वाले का हाथ पकड़कर मिठाई पकड़ा दी और उससे बोले कि ” हम सब इंसान है, छूत – अछूत कुछ भी नहीं read more होता.
मै तो भोजन करके ही जाऊंगा वैसे भी सारा दिन पड़ा है धन लाने के लिए अभी जल्दबाजी भी क्या है। बेचारी स्त्री क्या करती दौड़ी-दौड़ी गयी और बनिए से उधार में सामान लेकर आयी। जल्दी से खाना बनायीं और पति को खिलाई फिर राजमहल जाने के लिए तुरंत आग्रह करने लगी।
पंचतंत्र की कहानी: संगत का प्रभाव – sangati ka asar – Young children stories
एक कहानी बताती है कि दो दोस्त रेगिस्तान से गुजर रहे थे। यात्रा के कुछ समय के दौरान उनके बीच एक बहस हुई, और एक दोस्त ने दूसरे को चेहरे पर थप्पड़ मारा।
महामंत्री गाँव के सर्वश्रेष्ठ मूर्तिकार के पास गया और उसे वह पत्थर देते हुए बोला, “महाराज मंदिर में भगवान विष्णु की प्रतिमा स्थापित करना चाहते हैं.
पंचतंत्र की कहानी: बंदर का कलेजा – bandar ka kaleja
वह जितना अधिक समय तक जीवित रहता था, वह उतना ही अधिक पित्त बनता जा रहा था और उतने ही जहरीले उसके शब्द थे। लोग उससे बचते थे, क्योंकि उसका दुर्भाग्य संक्रामक हो गया था। यह भी अस्वाभाविक था और उसके बगल में खुश होना अपमानजनक था।
मिल देखने के बाद शास्त्रीजी मिल के गोदाम में पहुँचे तो उन्होंने साड़ियाँ दिखलाने को कहा। मिल मालिक व अधिकारियों ने एक से एक खूबसूरत साड़ियाँ उनके सामने फैला दीं। शास्त्रीजी ने साड़ियाँ देखकर कहा- "साड़ियाँ तो बहुत अच्छी हैं, क्या मूल्य है इनका?"